एक प्रेरक प्रसंग – दहेज
एक प्रेरक प्रसंग जो हर लड़की और लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा है, किसी की भी सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है.
एक प्रेरक प्रसंग जो हर लड़की और लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा है, किसी की भी सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है.
एक फकीर एक वृक्ष के नीचे ध्यान करते थे. वो रोज एक लकड़हारे को लकड़ी काट कर ले जाते देखते थे. एक दिन उन्होंने लकड़हारे से कहा कि सुन भाई, दिन-भर लकड़ी काटता है, दो जून की रोटी भी नहीं जुट पाती.
इस प्रसंग के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है । की विषम परिस्थितिओं में हमें किस प्रकार से सोचना चाहिए, हमारी नज़रिया कैसी होनी चाहिए, की हम उस परिस्थिति से मुक़ाबला कर सकें ।
एक बार ईश्वर ने सभी प्राणियों को बुलाया, लेकिन मानव् को जान- बुझ कर छोड़ दिया. दरअसल वो इंसान से कुछ छुपाना चाहते थे. ईश्वर
आज-कल अधिकांश घरों में सास और बहु के बीच मतभेद हो जाता है. बहु के घर आने के कुछ दिन बाद से ही मतभेद बढ़ना शुरू हो जाता है, लेकिन
जीवन में बदलाव होती रहनी चाहिए और समय परिस्थिति के अनुसार हमें अपने में परिवर्तन करते रहना चाहिए.
एक मुसाफ़िर ने सड़क के किनारे बैठी एक महिला से पूछा, आगे जो शहर आने वाला है, उस शहर के लोग कैसे हैं ? ‘तुम जहाँ से आ रहे हो, वहां के लोग कैसे थे ?’
गर्मी की छुट्टी में मैं अपने फुआ के यहाँ गया हुआ था. उस समय दुसरे शहर से मेरी फुआ की हमउम्र एक रिलेटिव आई थी.
प्रिय पाठकों प्रस्तुत एक साहसिक प्रसंग जो ब्रिटिश शासन के समय की है । बिहार के दियारा गांव में अधिकांश लोग जाना पसंद नहीं करते थे, क्योंकि वहां जाने वालों को अक्सर बुखार जकड़ लेता था ।