ससुराल भी अपनी घर जैसी

आज-कल अधिकांश घरों में सास और बहु के बीच मतभेद हो जाता है. बहु के घर आने के कुछ दिन बाद से ही मतभेद बढ़ना शुरू हो जाता है, लेकिन जिस छोट-छोटी बातों से परिवार में मतभेद बढ़ता है. उसे नजरंदाज कर वो समय हम एक दुसरे को समझने में लगायें तो हमारा परिवार टूटने से बच सकता है. तो आइये इस प्रसंग के माध्यम से जाने सकारात्मक नजरिया अपनाने का राज. 


सुजाता की शादी हो चुकी थी और उसकी ससुराल कफ़ी दूर होने के वजह से पीहर आना-जाना बहूत कम हो पता था. फ़ोन पर अक्सर अपने माता-पिता से बात हो जाया करती थी. लेकिन आज अचानक सुजाता को घर आया हुआ देखकर उसके माता-पिता बहूत हैरान थे. ‘क्या हुआ बेटा ? तुम यूं अचानक ?’ विस्मय से उसके पिता ने पुछा. वह कुछ नहीं बोली, बस उसके आंसू बहते रहे. उसका यह देख कर माता-पिता का कलेजा धक-धक करने लगा. आंसू पोंछकर सुजाता ने बतया, ‘कल रात मुझे आप लोगों के बारे में एक बुरा सपना आया और मेरा मन ख़राब हो गया. मुझे रुंआसा देख सास-ससुर ने पूछा, तो मैंने सारी बात बता दी. तब मेरे ससुर ने मुझे गाड़ी देकर भेज दिया और कहा दो-तीन दिन आप लोगो के साथ रहकर वापस आ जाऊं.’

बेटी को घर जैसी ससुराल मिली देख कर माता पिता की आंखे नम हो रही थीं. अगर एक परिवार का हर सदस्य अपने परिवार के सदस्यों के भावनाओं का कद्र करें एक दुसरे को समझने का प्रयास करें तो वो परिवार कभी नहीं टूट सकता. हैं न दोस्तों !

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