आपका नज़रिया ही जय, पराजय निश्चित करती है

इस प्रसंग के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है । की विषम परिस्थितिओं में हमें किस प्रकार से सोचना चाहिए, हमारी नज़रिया कैसी होनी चाहिए, की हम उस परिस्थिति से मुक़ाबला कर सकें ।

प्रेरक प्रसंग – चरित्रहीन कौन

संन्यास लेने के बाद गौतम बुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की. एक बार वह एक गांव में गए. वहाँ एक स्त्री उनके पास आई और बोली – आप तो कोई “राजकुमार” लगते हैं.

व्यक्तित्व-विकास के मुलभुत तत्व एवं तर्क

वर्तमान में विभिन्न संस्थानों में व्यक्तित्व-विकास से संबंधित शिक्षा का प्रसार हो रहा है. व्यक्तित्व-विकास के साथ ही हम एक सभ्य समाज की कल्पना कर सकते हैं. तो आईये जाने व्यक्तित्व-विकास के मुलभुत तत्व एवं तर्क.

ज्ञान की शालीनता- स्वामी विवेकानंद

बहूत से लोग ऐसे होते हैं, जो स्वंय अज्ञानी होते हुए भी अपने को सर्वज्ञ समझने का अहंकार पाले रहते हैं. इस अहंकार के कारण ही वो

फोर्ड मोटर के मालिक हेनरी फोर्ड

फोर्ड मोटर के मालिक हेनरी फोर्ड दुनिया के चुनिंदा धनी व्यक्तियों में से एक थे. एक बार एक भारतीय उद्योगपति जो भारत में मोटर कारखाना लगाना चाहते थे, उससे पहले…

समय-समय पर अपना आकलन करते रहें..

जीवन में ऐसी बहूत सारी परिस्थितियां आती हैं, जब हम खुद को लेकर अनिश्चित हो जाते हैं. इस अनिश्चितता से निकलने के लिए इन बातों को ध्यान में रखिए.

धीमा जहर है इर्ष्या

इर्ष्या ‘जलन’ एवं इस प्रकार का व्यवहार slow poison  का काम करता हैं, यदि आपका कोई शत्रु आपसे इर्ष्या कर रहा है, तो आप निश्चिंत हो जाएं. वह स्वयं अपने आप को मिटा रहा है.

निर्मल होकर मुस्कुराएं – आत्म सुधार

मुस्कान में उपचार की शक्ति होती है. यह आपका और आपके साथी का उपचार कर सकती है. जब आप इस तरह निर्मल होकर मुस्कुराएंगे, तो आपके सामने बैठा व्यक्ति भी मुस्कुराएगा.

विवेकानंद ने बढ़ाया भारतीय संस्कृति का मान

यूग पुरुष “स्वामी विवेकानंद” 1893 में विश्व धर्मसंसद में भाग लेने शिकागो ( अमेरिका ) गए थे ! अभी धर्मसंसद में कुछ ही दिन शेष थे |