आत्मविश्वास से बड़ा दूसरा कोई मित्र नहीं

यह लेख जो आपको आपके वास्तविक ताकत से परिचय करवाएगा आपके सच्चे मित्र से आपका परिचय करवाएगा. जो आपके अंदर स्वत: विकसित होता है. तो आईये Start करते हैं, बहूत सारे लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है की आत्मविश्वास क्या है ?

आपका नज़रिया ही जय, पराजय निश्चित करती है

इस प्रसंग के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है । की विषम परिस्थितिओं में हमें किस प्रकार से सोचना चाहिए, हमारी नज़रिया कैसी होनी चाहिए, की हम उस परिस्थिति से मुक़ाबला कर सकें ।

प्रेरक प्रसंग – चरित्रहीन कौन

संन्यास लेने के बाद गौतम बुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की. एक बार वह एक गांव में गए. वहाँ एक स्त्री उनके पास आई और बोली – आप तो कोई “राजकुमार” लगते हैं.

व्यक्तित्व-विकास के मुलभुत तत्व एवं तर्क

वर्तमान में विभिन्न संस्थानों में व्यक्तित्व-विकास से संबंधित शिक्षा का प्रसार हो रहा है. व्यक्तित्व-विकास के साथ ही हम एक सभ्य समाज की कल्पना कर सकते हैं. तो आईये जाने व्यक्तित्व-विकास के मुलभुत तत्व एवं तर्क.

ज्ञान की शालीनता- स्वामी विवेकानंद

बहूत से लोग ऐसे होते हैं, जो स्वंय अज्ञानी होते हुए भी अपने को सर्वज्ञ समझने का अहंकार पाले रहते हैं. इस अहंकार के कारण ही वो

ससुराल भी अपनी घर जैसी

आज-कल अधिकांश घरों में सास और बहु के बीच मतभेद हो जाता है. बहु के घर आने के कुछ दिन बाद से ही मतभेद बढ़ना शुरू हो जाता है, लेकिन

फोर्ड मोटर के मालिक हेनरी फोर्ड

फोर्ड मोटर के मालिक हेनरी फोर्ड दुनिया के चुनिंदा धनी व्यक्तियों में से एक थे. एक बार एक भारतीय उद्योगपति जो भारत में मोटर कारखाना लगाना चाहते थे, उससे पहले…

सोच ही हमारी दिशा और दशा तय करती है

गर्मी की छुट्टी में मैं अपने फुआ के यहाँ गया हुआ था. उस समय दुसरे शहर से मेरी फुआ की हमउम्र एक रिलेटिव आई थी.

समय-समय पर अपना आकलन करते रहें..

जीवन में ऐसी बहूत सारी परिस्थितियां आती हैं, जब हम खुद को लेकर अनिश्चित हो जाते हैं. इस अनिश्चितता से निकलने के लिए इन बातों को ध्यान में रखिए.