1954 का बिहार का सूखा
बिहार में किसी भी बुज़ुर्ग से बाढ़ के बारे में पूछिए तो वह 1954 की बाढ़ का ज़िक्र बड़ा रस लेकर बतायेगा. उससे पूछिए कि बाढ़ के बाद सूखा भी पडा था तो यह बात उसे याद नहीं आयेगी मगर यह सच है.
नुति : दूसरी चिठ्ठी
एक खुशखबरी है ! नुति की पहली चिट्ठी को लोगों ने प्यार भी दिया और इस चिट्ठी की मदद से उसे अभिलाषित जरिया भी मिल गया।
नुति : पहली चिट्ठी
नुति को नहीं पता कि कहाँ से शुरुआत हो । …मगर हाँ, फ़िलहाल शायद उसे बस एक माध्यम चाहिए जिसे वो अपनी बात कह सके । उसके मन की वो सारी बातें जो समाज-परिवार के बनाये नियमों के अंदर फिट नहीं बैठते ।
देश का पहला ‘पुस्तक-गाँव’
एमडीएम : शिक्षा जगत पर बदनुमा दाग
अभी पिछले दिनों एमडीएम के तहत विद्यालयों में नमक-रोटी परोसे जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद मैं बहुत आशान्वित था कि इस पूरे मामले पर व्यापक विमर्श होगा और एमडीएम की परत दर परत उधेड़े जाएंगे।
“कुली लाइन्स” पुस्तक समीक्षा
विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर एक व्यंग कथा संग्रह के बाद दो दूर देशों की यात्रा वृतांत और फिर ……………… कुली लाइंस ।
महात्मा गांधी, परचुरे शास्त्री और सेवाग्राम
डॉ० विक्रम साराभाई की जीवनी व विचार
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है- ऐसा कभी अरस्तु ने कहा था। कभी-कभी सोचता हूं गर संसार में रिश्ते नहीं होते तो भी क्या मनुष्य सामाजिक प्राणी होता ! या फिर समाज का निर्माण हीं संभव हो पाता ! नहीं ना ।