बालकनी के प्रेम कथा का निर्दयी अंत

दिसम्बर के धुप में यूँ ही बालकनी के दूसरी तरफ मुड़ बैठ गया था | बादलों के बीच सूरज की आँख मिचौली में बालकनी की ठंडी हवा मन को मोह रही थी | एकाएक नजरें उठी और दूर के बालकनी पर जाकर अटक गई | एक खूबसूरत जवान कन्या !

काशी – यात्रावृतांत

अभी काशी से विदा भी नहीं हुआ था कि कूची मष्तिष्क के अंतरपटल पर हर्ष की स्याही से क्षणों को दकीचे जा रहा था । पेट से माथे तक बबंडर उठा हुआ था । लेखक मन व्याकुल था, बार-बार कोशिस करता था और शब्द अव्यवस्थित हो रहे थे । मैं हर क्षण को शब्दों की चादर में छुपाकर आप तक सहेजकर लाना चाहता था ।

दुनियाँ के 25 सफ़ल व्यक्तियों के प्रेरक विचार

पढ़िये  दुनियां के 25 सबसे सफ़ल व्यक्तियों के विचार जिन्होंने अपने जूनून से दुनियां के लिए कुछ कर गुजरने की जिद्द की और सफल भी हुए. जो आज दुनियाँ के लिए मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं.

मिथिला आंदोलन PART 1

मिथिला आंदोलन मुट्ठी भर लोगों का समूह बन कर रह गया है. अगर आप गिनती करें तो 100 लोग भी नहीं पुरेंगे लेकिन उन्होंने पूरे मिथिला के आंदोलन का भार अपने पीठ पर उठा रखा है. हम बात भी इन्हीं क्रांतिकारीयों की बात कर रहें हैं.

ग्लैमर और जमीनी कार्यकर्ता

आप थोड़े ना कुछ करते हैं हमारे लिये. वो दीदी जो आपके साथ आई थी, वह हम लोगों के लिए काम करती है. आप तो बस यूं ही इधर उधर घूमते रहते हैं. सुनकर सर चकरा गया था मेरा, तो पूछ बैठा था भाई किसकी बात कर रहे हो.

घर में लटकते ताले मानो मुंह चिढ़ा रहें हैं

लगता है मैं ही बदल गया ! नहीं – नहीं यह घर ही बदल गया । अब घर के गेट पर ताले लटके हुए मिलते हैं । पहले तो ऐसा नहीं था । तो फिर मैं सही हूँ न ! घर ही बदला मैं नहीं । सही में यह घर ही बदल गया ।

सत्कार और तिरस्कार का महत्व

एक थका-मादा शिल्पकार लंबी यात्रा के बाद किसी छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम के लिये बैठ गया । अचानक उसे सामने एक पत्थर का टुकड़ा पड़ा दिखाई दिया ।

नोटों को लेकर अफवाहों में न परें

वित्त मंत्रालय ने 500 और 1000 के नोट बंद होने पर प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा  देशवाशियों को किया गया सम्बोधन लिखित शब्दों में जारी किया ! जरुर पढ़ें ।

आशा से जीता जा सकता है जहान

दीपावली की रात थी. किसी तकनीकी कारण से बिजली चली गई थी और पूरी रात उसके आने की संभावना नहीं थी. एक अत्यंत गरीब घर में गृहिणी ने 4 दिए जला रखे थे. गृहिणी का छोटा-सा बालक उन दीयों को देख देखकर प्रसन्न  हो रहा था.