का करें सर, पैसा तो है नही ! चक्की बेच दें ?
भरत आज भरथा से भरत भाई हो गए हैं । आज आप इनके गांव जाओ और किसी को पूछो कि भरत जी का घर कहाँ है तो लोग आपको इनके घर तक पहुँचा देंगे, पर चलते-चलते जरूर पूछ देंगे कि कोनों कंपनी से आये हैं का ? बहुते कंपनी वाला सब उनके पास आते रहता है ।
आज तक उनकी वर्दी धोयी नहीं ! जब बहुत याद आते हैं, तो पहन लेती हूं
“2009 में उसने मुझे प्रपोज़ किया था. 2011 में हमारी शादी हुई, मैं पुणे आ गयी. दो साल बाद नैना का जन्म हुआ. उसे लम्बे समय तक काम के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता था. हमारी बच्ची छोटी थी, इसलिए हमारे परिवारों ने कहा कि मैं बेंगलुरु आ जाऊं. मैंने फिर भी वहीं रहना चुना जहां अक्षय था. मैं हमारी उस छोटी सी दुनिया से दूर नहीं जाना चाहती थी, जो हमने मिल कर बनायी थी.
एक प्रेरक प्रसंग- “समय की क़ीमत”
यह घटना उस समय की है जब स्वतंत्रता आंदोलन ज़ोर पकड़ चुका था । गांधी जी घूमकर या सभा बुलाकर लोगों को स्वराज और अहिंसा का संदेश देते थे । एक बार उन्हें एक सभा मे उपस्थित होने का आमंत्रण मिला ।
होती है गलतफहमी, टूट जाते हैं रिश्ते
एक जौहरी के निधन के बाद उसका परिवार संकट में पड़ गया. खाने के भी लाले पड़ गए, एक दिन उसकी पत्नी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर
लघुकथा – संगीत का ज्ञान
बुजुर्गो की अहमियत Importance Of The Elderly
गाँव से लेकर शहर तक हर जगह आज बुजुर्गो की उपेक्षा हो रही है । ये हमें पाल-पोस कर बड़ा करते हैं, और जब हमारी उनको जरूरत होती है, तो उनसे दो पल बात करने का भी हमारे पास समय नहीं होता । हम अपने काम में इतने ही मशगुल हो गए हैं, की भूल ही गए है की हमारे “बुजुर्गो की क्या अहमियत है”
कुछ प्रेरक प्रसंग जो करेंगे आपका मार्गदर्शन
कभी-कभी हम अत्यधिक ही विचलित हो जाते हैं. छोटी-छोटी बातें हमें दिग्भ्रमित कर देती है और हम बेवजह परेशान हो जाते है. ऐसे में कुछ प्रसंग हमें यथार्थ का बोध कराते हैं, और हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं. आइए पढ़ें…..
प्रेरणात्मक कथा फूटा घड़ा
बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था. वह रोज़ सुबह में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था.
प्रेरक कथा – माँ की ममता
मैं रूम में अपने किसी काम में व्यस्त था, तभी किचन से अपनी माँ और बीवी की आवाज सुना । मेरी बीवी माँ को खड़ी खोटी सुना रही थी । शायद…