जब राजा ब्रुश अपने शत्रुओं से युद्ध में हार गए. उनके बहूत सारे सैनिक मारे गए और बंदी बना लिए गए. उनके महल पर शत्रु सेना का कब्ज़ा हो गया. वह अपने परिवार से भी बिछड़ गये.
ब्रुश अपनी जान….….. बचा कर जंगल में भागे. शत्रु सेना उनका पीछा कर रही थी. ब्रुश घने जंगल में कोई सुरक्षित स्थान तालाश करने लगे. जंगल में तो पेड़ थे, उनसे सुरक्षा मिलना तो मुश्किल था भागते-भागते अचानक उन्हें एक गुफा दिखाई दी. वह मृत्यु के डर से बिना कुछ सोचे-विचारे गुफा में घुस गये. वह ठीक से साँस भी नही ले पा रहा थे कि शत्रु सैनिकों के आने की आहट उन्हें आने लगी. गुफा में एक ही प्रवेशद्वार था. यदि सैनिक गुफा के भीतर आ जाते तो ब्रुश की गिरफ़्तारी या मृत्यु तय थी.
भयभीत ब्रुश ने तभी देखा कि…….. एक मकड़ी गुफा के प्रवेश द्वार पर एक जाला बुन रही थी. वह कुछ दूर चलती, जाला बनती फिर गिर पड़ती. ब्रुश इस दृश्य को देखते रहें. अंततः मकड़ी ने पुरे प्रवेशद्वार पर जला बना ही लिया. जब शत्रु सैनिक गुफा तक आये तो द्वार पर मकड़ी का जला बना देख समझे की ब्रुश गुफा में नहीं है, क्योंकि जले को तोड़े बिना कोई भी गुफा में प्रवेश नहीं कर सकता था. वे लोग वहां से चले गए और ब्रुश की जान बच गई, लेकिन इस घटना ने ब्रुश में अभूतपूर्व साहस का संचार किया.
उसने मकड़ी की बारंबार असफ़लता फिर परिश्रम और अंतत: सफलता से प्रेरित हो कर अपने परिवार को खोजा, पुन: सेना संगठित की ,उस पर खूब मेहनत की और फिर शत्रु पर आक्रमण कर विजय हासिल की. असफ़लता से निराश होने के बजाय उसे प्रेरणा बनाकर निरंतर प्रयास करते रहें , तो सफलता आवश्य मिलती है.