तलत महमूद ; दिले नादां तुझे हुआ क्या है !

भावुक, कांपती, थरथराती, रेशमी आवाज़ के मालिक तलत महमूद अपने दौर के बेहद अजीम पार्श्वगायक रहे हैं। अपनी अलग-सी मर्मस्पर्शी अदायगी के बूते उन्होंने अपने समकालीन गायकों मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, मन्ना डे और हेमंत कुमार के बरक्स अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।

मार्क्स के आधारभूत सिद्धांत का समर्थक हूँ, समर्थकों का समर्थक नहीं !

दुनिया में चारो तरफ शोषण व्याप्त था, मजदूरों का शोषण । उनके न तो काम के घंटे निश्चित थे और न ही कोई निश्चित मजदूरी । छुट्टियों का तो सवाल ही छोड़िये । यहाँ तक की यदि किसी मजदूर/कर्मचारी की मृत्यु हो जाए या वो कारखाने में कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो उसे कोई मुआवजा भी नहीं मिलता था ।

एक कवि जो रमता जोगी, निठट्ठ गंवार और स्थानीय येट ग्लोबल थे

एक कवि जो रमता जोगी थे । निठट्ठ गंवार, स्थानीय येट ग्लोबल थे । हर जगह घुमें, घाट-घाट पहुंचे, सबसे मिले-सबसे जुड़े लेकिन फिर भी अपना निजी गुण नहीं छोड़ा । सच बोलने की आदत नहीं गई, सरकार सिस्टम ने जब भी अनाचार अपनाया बाबा खुलकर विरोध किए ।

मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” की कुछ जीवंत रचनाएँ

उर्दू के सर्वकालिक महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्यतिथि पर, उनकी कुछ जीवंत रचनाएँ । इनका जन्म – 27 दिसंबर, 1796 ( आगरा, उत्तर प्रदेश ) एवं अवसान – 15 फरवरी, 1869 ( दिल्ली ) में हुआ । 

हमें काश तुमसे मुहब्बत न होती !

जिनके ज़िक्र के बगैर हिंदी सिनेमा का इतिहास नहीं लिखा जा सकेगा। प्रेम की शाश्वत प्यास की प्रतीक मरहूम मधुबाला को उनके यौमे पैदाईश (14 फरवरी) पर उनके व्यक्तिगत जीवन पर केंद्रित आलेख । लेखक : पूर्व आई० पी० एस० पदाधिकारी, कवि : ध्रुव गुप्त 

सूरज रे जलते रहना !

सैन्य-वीरों के त्याग और तप को संजोने वाले गीतों के रचनाकार स्व कवि प्रदीप उर्फ़ रामचन्द्र नारायणजी द्विवेदी जी की जयंती पर प्रस्तुत है यह आलेख ।

लेखक : पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं कवि ध्रुव गुप्त 

महर्षि मुद्गल-एक प्रेरक प्रसंग

मुद्गल नामक ऋषि कुरुक्षेत्र में रहते थे । ये बड़े धर्मात्मा, जितेन्द्रिय, भगवद्भक्त एवं सत्यवक्ता थे । किसी की भी निन्दा नहीं करते थे । ये शिलोंछवृत्ति से अपना जीवन निर्वाह करते थे।

शहंशाह-ए-तरन्नुम – मोहम्मद रफ़ी

शहंशाह-ए-तरन्नुम – मोहम्मद रफ़ी हिंदी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। आईये इनके पुण्यतिथि पर  पढ़ते एवं सुनते हैं इनके प्रिसिद्ध संगीत