आधुनिक लोग और उनकी “छि:” वाली सोच !
हम कहते हैं हम मॉडर्न हो रहें हैं, विकास कर रहें हैं, सच में ! क्या आपने शरीर के बारे में जाना, ये जाना कि हमारा शारीरिक तन्त्र ( system ) कैसे काम करता है ?
हम कहते हैं हम मॉडर्न हो रहें हैं, विकास कर रहें हैं, सच में ! क्या आपने शरीर के बारे में जाना, ये जाना कि हमारा शारीरिक तन्त्र ( system ) कैसे काम करता है ?
संदीप महेश्वरी एक सफल Entrepreneur जो किसी परिचय के मोहताज नहीं उनके द्वारा suggest किया गया 26 पुस्तक जिसे आवश्य ही पढ़ना चाहिए । आइए पढ़ें क्या कहते हैं इन पुस्तकों के विषय में …
एक थका-मादा शिल्पकार लंबी यात्रा के बाद किसी छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम के लिये बैठ गया । अचानक उसे सामने एक पत्थर का टुकड़ा पड़ा दिखाई दिया ।
दीपावली की रात थी. किसी तकनीकी कारण से बिजली चली गई थी और पूरी रात उसके आने की संभावना नहीं थी. एक अत्यंत गरीब घर में गृहिणी ने 4 दिए जला रखे थे. गृहिणी का छोटा-सा बालक उन दीयों को देख देखकर प्रसन्न हो रहा था.
आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी । कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है । सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली ।
जीवन के कुछ हालात ऐसे होते हैं जिन्हें हम तब तक नहीं समझ सकते, जब तक की खुद उससे न गुजरें. कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जिसका महत्व हमें तब समझ में आता हैं जब हमारा उससे सामना होता है.
आज कल देखा जाता है, ज्यादातर लोग छोटी-छोटी बातों पर अपना धेर्य खो बैठते हैं, बर्दास्त करने की क्षमता तो मानो विलीन ही होती जा रही है.
हमारे जीवन में हम इंसान “मान्यताओं के मोह जाल” की जंजीरों से ऐसे जकड़े हुए हैं कि जब कभी भी उससे बाहर आने की कोशिश करते हैं तो ऐसा सोचते हैं कि
एक ब़ार स्वामीजी जयपुर में दो सप्ताह के लिए ठहरे थे. इस दौरान एक व्याकरण के विद्वान से उनकी भेंट हुई. परिचय होने के पश्चात स्वामीजी उनसे
एक विदेशी महिला ने विवेकानंद से कहा – मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ”। विवेकानंद ने पूछा- “क्यों देवी ? पर मैं तो ब्रह्मचारी हूँ”। महिला ने जवाब दिया -“क्योंकि मुझे आपके जैसा ही एक पुत्र चाहिए, जो पूरी दुनिया में मेरा नाम रौशन करे और वो केवल आपसे शादी करके ही मिल सकता है मुझे”।