जीवन के कुछ हालात ऐसे होते हैं जिन्हें हम तब तक नहीं समझ सकते, जब तक की खुद उससे न गुजरें. कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जिसका महत्व हमें तब समझ में आता हैं जब हमारा उससे सामना होता है.
जीवन में नए लोग मिलते हैं, पुराने छुट जाते हैं. पीछे छूट गए लोग भी व्यक्तित्व का हिस्सा होते हैं, लेकिन हमें उनके बिना जीने की आदत पर जाती है. यह अच्छा भी है क्योंकि ये हमें दुःख के एहसास के साथ जीने का तरीका सिखाता है.
आचार्य चाणक्य ने कहा है –
“गुजरे कल को याद करके मत रो, भविष्य की चिंता न कर क्योंकि वह कैसा होगा, तू नहीं जानता. वर्तमान में जी वर्तमान से ही भविष्य बनेगा या बिगड़ेगा. इसीलिए वर्तमान का भरपूर लाभ उठा. यही काल ( समय ) तेरे हाथ में है .”
खुश होना और ख़ुशी की तलाश करना अलग-अलग चीजें हैं. ख़ुशी तात्कालिक होती है. ठण्ड की सुबह में सूरज की धुप से भी हम खुश हो जाते हैं, लेकिन कुछ घंटे बाद धुप खत्म हो जाती है. वहीं ख़ुशी का मतलब हमें तब समझ में आता है जब जीवन का कोई अर्थ हो. इसे हासिल करना ज्यादा मुश्किल है, लेकिन यह ज्यादा टिकाऊ होती है.
दूसरों की सोच आप नहीं बदल सकते. न ही यह जरूरी है. आप खुद में बदलाव कर सकते हैं और यही असली चुनौती है. आज जैसे हैं, कल उससे बेहतर बनने का प्रयास कीजिए. दूसरों से तुलना करने से कुछ हासिल नहीं होता.
नई शरुआत के लिए जोख़िम उठाना पड़ता है. इसके लिए संघर्ष और त्याग करना होता है, लेकिन इसी में जीत की सम्भावना भी छुपी होती है. समय रहते जोख़िम लेने की आदत डालिए. इससे डर गए तो बांकी जीवन इसी पछतावे में बीतेगा की हमने ऐसा क्यों नहीं किया.
उम्मीद पूरी न हो तो निराशा होती है. लेकिन उम्मीद एक सोच से ज्यादा कुछ नहीं है और जरूरी नहीं की हर सोच सही हो. जिन्दगी हमेशा वैसी ही नहीं हो सकती, जैसा हम सोचते हैं. इसीलिए जो हो रहा है उसे उसी रूप में स्वीकार कीजिए.
वर्तमान यूग में आपको यथार्थवादी बनान ही होगा. निराश होकर बैठने से आप आने वाले सम्भावनाओं को भी नष्ट करने लगते हो. इसीलिए यथार्थ को स्वीकार कर जीवन में आगे बढ़ने को सोचो.
अपनी पुरानी गलती को भुलाने के बजाय उससे जुड़ी निगेटिव सोच को दूर करें. अपनी एनर्जी ऐसे कामो में लगायें, जिसमें आपकी रूचि हो. मुश्किलों से भागने की कोशिश करेंगे तो सारी उर्जा इसी में खर्च होगी. इसकी बजाय positive सोच के साथ आगे बढिए.