क्रांति कोई डिनर पार्टी नहीं है ।

satyam kumar jhaमुझे इस दुनिया में हो रहे कई चीज गलत लग जाती है । समकालीन मुद्दे पे तपाक से राय नहीं बना पता । मैं एकतरफा नहीं हो पता किसी भी मुद्दे पे । कुछ दिनों पहले……

इतिहास के गर्भ में मिथिला

satyam kumar jhaपुरातात्विक अवशेषों का अन्वेषण, विश्लेषण में पूरा पाषाण काल, मध्यकाल अथवा नव पाषाण काल के कई अवशेष जो अभी तक प्रकाश में नहीं आये हैं उनमें से एक है बलिराजगढ़ .. प्रस्तुत है इस विषय पर सत्यम कुमार झा का संक्षिप्त आलेख ।

क्या इसी परिवर्तित समाज की परिकल्पना हमारे पुरखों ने की होगी ?

 

समस्त ब्रम्हांड का आधार बदलाव है। युग-युगांतर से बदलाव होते रहे हैं तथा होते रहेंगे। परंतु जब मैं… इस भीड़ से परे वर्तमान पर दृष्टि डालता हूं,तो मन विस्मय से भर उठता है। एक सवाल बार-बार जेहन में उठता है कि क्या हमारे पुरखों ने इसी परिवर्तित समाज की परिकल्पना की होगी? उत्तर शायद नकारात्मक मिलेगा।

बनके मिसाल उभरना है तुझे..

आज अहलभोर से ही देख रहा हूँ चहुँओर महिला दिवस की बधाई वाली फेसबुकी तख़्ती लटका लिया गया है ,अधिकांश वैसे मित्रों के द्वारा भी जो व्यक्तिगत जीवन में वो नहीं चाहते या करते हैं जो वो दिखना या दिखाना चाह रहे हैं।

एक चिड़िया, जो बनी पूरी ज़िन्दगी की प्रेरणा

यह प्रसंग अमेरिका के एक छोटे से बच्चे की है, जिसका नाम डिफोस्ट था । जो विषम परिस्थिति में भी अपने सपने को साकार किया एक छोटी सी चिड़ियाँ से प्रेरणा ले कर…….

गले में खराश हो तो आजमाइए ये नुस्ख़े

गले में खराश या दर्द आम बात है ।  ठंढ या बदलते मौसम में यह हो सकता है । आमतौर पर गले का संक्रमण वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है । ऐसे में तुरंत डॉ के पास जाने से बेहतर होगा कुछ आसान नुस्ख़े अपनाएं । 

कुछ प्रेरक प्रसंग जो करेंगे आपका मार्गदर्शन

कभी-कभी हम अत्यधिक ही विचलित हो जाते हैं. छोटी-छोटी बातें हमें दिग्भ्रमित कर देती है और हम बेवजह परेशान हो जाते है. ऐसे में कुछ प्रसंग हमें यथार्थ का बोध कराते  हैं, और हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं. आइए पढ़ें…..

पाँच बाल कविताएँ

प्रस्तुत है पाँच बाल कविताएँ ।  “माँ, कह एक कहानी”- मैथिलीशरण गुप्त / “बचपन जिंदाबाद !” – शादाब आलम /  “टेसू राजा अड़े खड़े” –  रामधारी सिंह दिनकर /  “सुबह” – श्रीप्रसाद / “सतरंगे बादल”  – पूनम श्रीवास्तव ।