डेंगू से डरें नहीं, सतर्क रहें

इस लेख में हम बात करेंगे “डेंगू” के विषय में जो की एक खास किस्म के मछर के काटने से होता है, इसका नाम है एडिस एजिप्टी” यह एक छोटा काले रंग का मछर है, जिस पर सफ़ेद पट्टिया होती हैं. इसका आकर लगभग पांच मिलीमीटर का होता है. यह दिन में काटता  है, यह घर के आस-पास के स्थानों में भोजन के लिये मनुष्यों पर निर्भर है. भारत में अधिकांश राज्यों में “एडिस एजिप्टी” मच्छर डेंगू का प्रमुख वाहक है. यह हमारे आस-पास में जमे हुए पानी में पनपता है. केरल में एडिस एल्बो फिकटस रबर के पोधे रोपने वाले क्षेत्रोँ में लेक्टस जमा करने के लिए प्रयुक्त बर्तनों में जमा हुआ पानी में यह तेजी से प्रजनन करता है.


  • हमें डेंगू से डरने की आवश्यकता नहीं है, बस हमे थोड़ा सा सतर्क होने की आवश्यकता है. यह हमें प्रभावित न करें इसलिए घर के आसपास छत पर पानी इकत्रित न होने दें.
  • जिन बर्तनों में पानी रखा जाता है उन पर हमेसा ढक्कन लगा कर रखें पानी की टंकियो को कवर करके रखें व नियमित सफाई करें.
  • घर का कचरा सुनिश्चित जगह पर डालें, जो की ढका हो, कचरा घर के बाहर नष्ट करें.
  • घर के आस-पास मछरनाशक दवाइयां छिड्काएं.

डेंगू के लक्षण

  • 40 डिग्री सेंटीग्रेड वाला बुखार के साथ उलटी, तीव्र सरदर्द, जोड़ो में दर्द, जी घबराना, डेंगू का संकेत हो सकता है. संक्रमित मछर के कटे जाने के चार से दस दिन के अन्दर ए लक्षण पैदा हो सकते हैं.
  • आचानक तेज बुखार, शरीर के रेशेस, बदन दर्द, सिर दर्द, मंस्पेशियो व जोड़ो में जबरदस्त दर्द प्रारंभिक लक्षण है, जिसे हेमरेजिक डेंगू कहा गया है, में रक्तस्राव के लक्षण व बेहोसी के लक्षण प्रतीत होते हैं, श्वास् में रुकावट भी हो सकती है.

लक्षण दिखे, तो डॉक्टर से मिलें

  • डेंगू के लक्षण दिखाई पड़ते ही नजदीकी डॉक्टर को दिखाएँ, इसमें लापरवाही करना खतरनाक हो सकता है बिना डॉक्टर को दिखाएँ कोई भी दवा ना लें. कभी-कभी मरीज बाजार से खरीद कर दवा खा लेते हैं, ऐसा करने से रक्तस्राव भी हो सकता है.

सबसे important बात

  • अगर आप को डेंगू हो जाए तो घबराएं नहीं, भरपूर मात्रा में तरल आहार लें, क्योंकि dehydration से ही बीमारी खतरनाक हो जाती है और अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती. बेवजह प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूज़न मरीज को नुकसान कर सकता है.
  • मरीज बुखार के लिए सिर्फ परासेटामांल का प्रयोग करें. किसी भी दर्द निवारक गोली का प्रयोग बिलकुल न करें.

डाइट पर विशेष ध्यान दें..

  • डेंगू के दौरान शरीर के प्लेटलेट्स तेज़ी से घटते है इसलिए भोजन ऐसी लें, जिससे आप जल्द से जल्द स्वस्थ हों, डेंगू के दौरान शरीर की प्रतिरोधी क्षमता घट जाती है, इसलिए सब्जियों को उबाल कर या हलका पका कर लें. बाहर के खाने से दूर ही रहें. घर का बना खाना ही खाएं.
  • लाल फल और सब्जियां : टमाटर, प्लम, तरभुज, चेरी आदि फल और सब्जियों में एंटीओक्सीडेंट अच्छी मात्र में होते हैं. ए शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद करते हैं.
  • नारियल पानी : नारियल पानी में एलेक्ट्रोलैट्स अच्छी मात्रा में होते हैं. इसके अलवा यह मिनिरल्स का भी अच्छा श्रोत है, जो ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं.
  • पपीता और इसके पत्ते का रस : शरीर की प्रतिरोधी छमता बढ़ाने और ब्लड प्लेटलेट्स की रिकवरी के लिए पपीता या इसके पत्ते का रस भी बहूत फायदेमंद है, पपीते के पत्ते को चाय की तरह भी पानी में उबाल कर पी सकते हैं.
  • चुकुन्दर और गाजर : चुकुन्दर के रस में प्रचुर मात्रा में ओक्सिडेंट होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधी छमता बढ़ाते हैं. अगर दो से तिन चम्मच चुकुन्दर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिला के पियें तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढती है.
  • कद्दू का रस : कद्दू के आधे गिलास जूस में एक से दो चम्मच शहद डाल कर दिन में दो बार लेने से भी खून में प्लेटलेट्स की संख्या बढती है.

क्यों नहीं है खतरनाक ? एक आंकड़ो के अनुसार…..

WHO ने 2009 में डेंगू का वर्गीकरण इस तरह से किया है.

  1. समान्य मरीज – 90% मरीज समान्य श्रेणी में आते हैं,जो सिर्फ़ मामूली इलाज तथा देखरेख से और बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो जाते हैं.
  2. गंभीर मरीज – 5-10% मरीज गंभीर स्टेज,डेंगू हिमोरेजिक बुखार ( DHF ) और डेंगू शांक सिंड्रोम ( DSS ) में प्रवेश कर जाते हैं.