एक कौआ था जो अपनी जिंदगी से बहुत खुश और संतुष्ट था. एक बार वह एक तालाब पर पानी पीने रुका, वहां पर उसने सफ़ेद रंग के पक्षी हंस को देखा, उसने सोचा- मैं बहुत काला हूँ और हंस इतना सुन्दर है इसलिए शायद हंस इस दुनियां का सबसे खुश पक्षी होगा.
कौआ हंस के पास गया और बोला -क्या आप दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो ? हंस बोला – मैं भी यही सोचा करता था कि मैं दुनियां का सबसे खुश पक्षी हूँ जब तक कि मैंने तोते को न देखा था. तोते को देखने के बाद मुझे लगता हैं कि तोता ही दुनियां का सबसे खुश पक्षी हैं क्योंकि तोते के दो खुबसूरत रंग होते हैं इसलिए वही दुनियां का सबसे खुश पक्षी है.
कौआ तोते के पास गया और बोला – क्या आप ही इस दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो ? तोता ने कहा – मैं पहले बहुत खुश था, और सोचा करता था कि मैं ही दुनियां का सबसे खुबसूरत पक्षी हूँ. लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है, मुझे लगता है कि वो ही दुनियां का सबसे खुश पक्षी है क्योंकि उसके कई तरह के रंग है और वह मुझसे भी खुबसूरत है.
कौआ चिड़ियांघर में मोर के पास गया और देखा कि सैकड़ों लोग मोर को देखने के लिए आए हैं. कौआ मोर के पास गया और बोला – क्या आप दुनियां के सबसे सुन्दर पक्षी हो ? हजारों लोग आपको देखने के लिए आते है इसलिए आप ही दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो सकते हो. मोर ने कहा – “मैं हमेशा सोचता था कि मैं दुनियां का सबसे खुबसूरत और खुश पक्षी हूँ लेकिन मेरी खूबसूरती के कारण मुझे यहाँ पिंजरे में कैद कर लिया गया है. मैं खुश नहीं हूँ और मैं अब यह चाहता हूँ कि काश मैं भी कौआ होता तो मैं आज आसमान में आजाद उड़ता. चिड़ियाघर में आने के बाद मुझे यही लगता हैं कि कौआ ही सबसे खुश पक्षी होता है.”
हम अपनी तुलना दूसरों से करते रहते है और दूसरों को देखकर हमें लगता है कि वो शायद हमसे अधिक खुश या सुख में है. इस कारण हम दु:खी हो जाते हैं. हम उनका आनंद नहीं उठा पाते जो हमारे पास पहले से है. दुनियां में हर व्यक्ति के पास अन्य व्यक्तियों से कुछ वस्तुएँ अधिक और कुछ वस्तुएँ कम होगी ही. इसलिए दुनियां में सबसे अधिक खुश वह है जो अपने आप से सन्तुष्ट हैं.