मैं अपनी सुन्दरता किसकी आँखों में देखूंगी ?

यह पाउलो कोएलो की लिखी एक प्रेरक कथा है – नारसिसस एक यूवक था जो झील के किनारे अक्सर बैठा करता था. एक दिन उसने झील के पानी में अपना अक्स देख लिया. अपने सुन्दर रूप को देख कर वह इतना मुग्ध हो गया की सुध-बुद्ध खो बैठा और झील में गिर के डूब गया. नर्सिसस के मौत के बाद वन-देवियाँ झील के पास आई. झील का रोते-रोते बुरा हाल था. उसका पानी खाड़ा हो चुका था. वन-देवियौ ने झील से कहा, “हम जानते हैं की नार्सिसस के मृत्यु का तुम्हें सबसे ज्यादे  दुःख है. क्योंकि हमने उसे हमेसा दूर से ही देखा, जबकि तुमने उसकी सुन्दरता को करीब से निहारा.”

लेकिन क्या वह बहूत सुन्दर था ? झिल ने पूछा. वन देवियों ने कहा तुम से बेहतर कौन बता सकता है ? तुम्हारे किनारे पर ही तो बैठा करता था. यह सुनकर झील कुछ पल को चुप रही, फिर वह बोली मुझे नहीं पता की वह बहूत सुन्दर था. मैं तो इस लिए रो रही हूँ की उसके न आने पर मैं अपनी सुन्दरता किसकी आँखों में देखूंगी ?

शिक्षा : आत्मकेंद्रित होने के कारण हम दूसरों की खूबियों को नही देख पाते हैं, दृष्टी को व्यापक बना कर ही हम जीवन के सत्य को देख पाते हैं,

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