क्या इसी परिवर्तित समाज की परिकल्पना हमारे पुरखों ने की होगी ?
समस्त ब्रम्हांड का आधार बदलाव है। युग-युगांतर से बदलाव होते रहे हैं तथा होते रहेंगे। परंतु जब मैं… इस भीड़ से परे वर्तमान पर दृष्टि डालता हूं,तो मन विस्मय से भर उठता है। एक सवाल बार-बार जेहन में उठता है कि क्या हमारे पुरखों ने इसी परिवर्तित समाज की परिकल्पना की होगी? उत्तर शायद नकारात्मक मिलेगा।