चौंसठ सूत्र, सोलह अभिमान

अविनाश मिश्र कविता के अति विशिष्ट युवा हस्ताक्षर हैं. इस संग्रह में शामिल कविताएँ एक लम्बी कविता के दो खंडों के अलग-अलग चरणों के रूप में प्रस्तुत की गई हैं.…

कुछ अनकहे से अल्फ़ाज़

डियर क्रश  डेढ़ साल तक मैं तुम्हें क्लास में देखता रहा परन्तु नाम तक नहीं पूछ सका. ऐसा नहीं है कि मैं पुराने ख़यालातों का था जिसे लड़कियों से बात…

हिंदुस्तान का बंटवारा मुझे सदैव कचोटता है

गए कुछ साल हिन्दी साहित्यिक जगत में महत्वपूर्ण रहे हैं. इस बीच हिन्दी में कुछ ऐसे लोगों का आना हुआ है, जो यूं तो मार्केटिंग या तकनीकी क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं किन्तु अपने भाषाई प्रेम के कारण हिन्दी में लिख रहे हैं.

अटल जी की 5 प्रसिद्ध कविताएँ

अटल जी कहते थे, “मेरी कविता जंग का एलान है, यह पराजय की प्रस्तावना नहीं | वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते यौद्धा का जय संकल्प है, वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है |”

पाल वाली नाव (भाग – 01)

मैं नाव के अगले माईन पर बैठा था और मेरी नजरें जलकुंभी के फूलों पर टिकी थी जो धीरे-धीरे मेरे पास आती जा रही थी । करमी के फूलों की पृष्ठभूमि में उसकी खूबसूरती और बढ़ गई थी।

ख़ुशी – तेरे नाम एक खुला ख़त

ख़ुशी कैसी हो ? तेरे नाम से पहले कोई विशेषण अच्छा नहीं लगता मुझे | मुझे सिर्फ तुम ‘तुम जैसी’ ही अच्छी लगती हो | पिछले कुछ दिनों से जिस्म कि तकलीफें बढ़ गयी थी, लोग-बाग़ के साथ साथ आलमारी में लगा सीसा भी शिकायत करने लगा था |

पांडव का संदेश – रामधारी सिंह दिनकर

प्रिय पाठकों प्रस्तुत है रामधारी सिंह “दिनकर” की प्रसिद्ध रचना……..

“वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,

सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।