Paltoo Bohemian ke kaaran main apni smritiyon mein laut gaya

“पालतू बोहेमियन” के कारण मैं अपनी स्मृतियों में लौट गया।

अच्छी किताब है। पतली भी। कई बार खोजा लेकिन किसी न किसी किताब के बीच दुबक जाती थी। कल पढ़ ही ली।  मज़बूत स्मरण शक्ति वाला ही संस्मरण लिख सकता है। प्रभात रंजन की पालतू बोहेमियन पढ़ते हुए लगा कि मनोहर श्याम जोशी से मिलते वक्त वे नज़र और स्मरण शक्ति गड़ा कर मिला करते होंगे। मनोहर श्याम जोशी से मैं भी मिला हूं। उसी साकेत वाले घर में कुछ दिनों तक जाता रहा हूं। फ़िल्म लेखन सीखने के लिए। अंधेरा लिए सुबह के वक्त बेर सराय से बस लेकर जाता था। समय के पाबंद थे। मुझे अब याद नहीं कि मैंने कैसे उनसे संपर्क किया था और उन्होंने क्यों हां कर दी। क्यों जाना छूट गया यह भी याद नहीं। लेकिन उनके घर जाता था। बैठकर स्क्रीप्ट की बारीकियां सीखता था और लौट कर बेर सराय के पार्क में खुले आसमान के नीचे फ्रेम सोचा करता था। उन्होंने सम्मान के साथ अपने गुर दिए। कभी बुरा अनुभव नहीं हुआ। पालतू बोहेमियन मेरी कमज़ोर स्मृतियों को चुनौती देने वाली किताब है। इसीलिए पढ़ता भी चला गया। वैसे व्यक्तिगत नाता नहीं भी होता तो भी यह पढ़ी जाने वाली किताब है।

चौंसठ सूत्र, सोलह अभिमान

अविनाश मिश्र कविता के अति विशिष्ट युवा हस्ताक्षर हैं. इस संग्रह में शामिल कविताएँ एक लम्बी कविता के दो खंडों के अलग-अलग चरणों के रूप में प्रस्तुत की गई हैं.…

कोशी, मिथिला और सरकारें- खट्टरकाका की डायरी से

सन 2008 में जब कोशी कोसी में बाढ़ की वजह से मिथिला का एक बहुत बड़ा हिस्सा तबाह हुआ था उस समय मैंने कोशी पर एक ब्लॉग लिखा था कि कैसे स्वतंत्रता

मेरे भीतर का “बुद्ध”

बुद्ध पूर्णिमा था और संयोग से कुशीनगर से गुजर रहे थे । इसी दिन गौतम बुद्ध कुशीनगर में महानिर्वाण प्राप्त किये थे । वहाँ मेला लगा हुआ था पर फिर भी हर जगह शांति थी । ज्यादा देर रहना नहीं हुआ पर आगे के पूरे रास्ते बुद्ध के बारे में सोचता आया.

देश का ये चुप्पी वाला एटीट्यूड घातक है भाई

लगभग पच्चीस साल पहले किसी पत्रिका में पढ़ा था, एक बहुत ही शक्तिशाली, बाहुबली योद्धा था । उसके पड़ोस में एक दुबला-पतला, फुर्तीला आदमी रहता था । दोनों के बीच