आज यह सवाल उठता है कि हम पिछड़े क्यों ? पूरे विश्व की सबसे उपजाऊ मिटटी बंजर कैसे हो गई ? पलायन घर घर की कहानी कैसे बन गई ? हमारे मां, बाप, भाई, बहन की आंखें रेलवे स्टेशन को….
तारणहार के रूप में कैसे देखने लगी ? गांव के गांव कैसे खाली हो गए ? भूख, कुपोषण, दलिद्रता, कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारी हमारे भाग्य में कैसे लिख दिए गए ? हर आँख निराशा के धुंध में कैसे गोता खाने लगा ? संसार को राह दिखाने वाली एक पुरानी संस्कृति कैसे गर्त में चली गई ?
ऊपर उठे तमाम सवाल हर मैथिल को दिल में कहीं ना कहीं कचोटता रहता है । आंखों के सामने सब कुछ का लूट जाना और बोरिया बिस्तर बांध कर हिंदुस्तान के कोने कोने में भटकने की नई नई चलन ने पूरे मैथिल सभ्यता और संस्कृति को तबाह कर के रख दिया है । आज वक्त आ गया है जब हम सब मिलकर इन बातों पर सोचे विचारे और जाती, धर्म के बैरियर से बाहर निकल कर एकजुट हो कर विकास की बात करें । जी हाँ मिथिला के विकास की कल्पना इसी तरह साकार हो सकती हैं जब हम विकास के मुद्दे पर चट्टानी एकता का प्रदर्शन करेंगे ।
चट्टानी एकता !
लेखक : अविनाश भारतद्वाज 9852410622