लर्निंग से ज्यादा महत्वपूर्ण है प्रैक्टिस

learning practice

ब्रूस ली का कथन है – मुझे उस आदमी से डर नहीं लगता जो 10 हजार तरह की किक के बारे में जानता है, बल्कि उस आदमी से लगता है जो एक ही किक की प्रैक्टिस 10 हजार बार करता है. दरअसल ये फर्क है नॉलेज और प्रैक्टिस का.

जब हम किसी चीज की प्रैक्टिस करते हैं तो किसी एक खास काम को सोच समझकर बार बार करते हैं ताकि तय किया गया लक्ष्य हासिल किया जा सके. प्रेक्टिस करना और सीखना दो अलग अलग चीजें हैं. सीखने में कई बार क्रिया नहीं होती है.

जैसे मान लीजिए कोई एक किताब पढ़ रहा है – हाऊ टू लर्न फॉरेन लैंगुएज. तो इससे उसको एहसास होगा की वो कुछ सीख रहा है. प्रगति कर रहा है. लेकिन जब तक बार बार इस्तेमाल करके इसकी प्रैक्टिस नहीं की जायेगी तो शायद विदेशी भाषा सीखने का उद्देश्य पूरा नहीं होगा.

दरअसल प्रैक्टिस करना तो लर्निंग है ,  लेकिन लर्निंग प्रैक्टिस नहीं है. लर्निंग से नॉलेज तो मिलता है. लेकिन यह नहीं पता चलता है कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए. सिखने के लिए प्रैक्टिस ज्यादा महत्वपूर्ण है. क्योंकि प्रैक्टिस के दौरान गलतियां होती है और लर्निंग पूरी होती है. काम की गहराई सामने आती है.

Comments

One response to “लर्निंग से ज्यादा महत्वपूर्ण है प्रैक्टिस”

  1. shubhankar avatar
    shubhankar

    बहुत ही उम्दा बातों का उल्लेख किया है ।
    अच्छी सोच है आपकी दूसरों को प्रेरणात्मक बातें बताने की।

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