नारीवाद का प्रतीक हैं जगत जननी जानकी
सीता आत्मत्याग तथा शुद्धता का प्रतीक हैं, वह केवल गुणवान पत्नी ही नहीं बल्कि साहसी तथा बहादुर महिला हैं, वह एक निर्भीक स्त्री हैं जिन्होंने रावण का अपराजेय प्रतिरोध किया।
सीता आत्मत्याग तथा शुद्धता का प्रतीक हैं, वह केवल गुणवान पत्नी ही नहीं बल्कि साहसी तथा बहादुर महिला हैं, वह एक निर्भीक स्त्री हैं जिन्होंने रावण का अपराजेय प्रतिरोध किया।
भगवान शिव आदियोगी हैं. योग के जन्मदाता और आदिगुरु. योगियों और सन्यासियों के लिए महाशिवरात्रि वह रात्रि है जब लंबी साधना के बाद शिव को योग की उच्चतम उपलब्धियां हासिल हुई थीं.
उम्र के आखिरी पड़ाव पर राधा और कृष्ण के मिलन का आख्यान ! लेखक ; पूर्व आई० पी० एस० पदाधिकारी, कवि : ध्रुव गुप्त
बुद्ध दुःख से मुक्ति के लिए आठ रस्ते बताये थे, ताकि हमारा जीवन शांतिपूर्ण और आनंदित हो सके । Buddha के मार्ग पर चलने के लिए नित जीवन में हमें आठ बातों को वरण करना होगा…
“दुःख के कारण तुम हो, तुम्हारे सुख के कारण तुम हो और दूसरों को दुःख देने से तुम कभी सुख न पा सकोगे । दूसरों को सताने से तुम कभी उत्सव न मना सकोगे ।”
प्रेम की स्वतंत्रा के विषय में श्री कृष्ण वासुदेव के उपदेश. प्रेम में स्वतंत्रा क्यों ? तनिक सोचिये, यदि जल को मुट्ठी में कस के बांधे तो जल कैसे