मानने से क्या होता है, बेटा तो चाहिये
बातचीत की शुरूआत मैंने ही की थी । सप्ताह भर का साथ, हमेशा मुस्कुराता हुआ चेहरा और मेरे चुहलपन ने एक नाता सा जोड़ दिया था । दोपहर में फुर्सत के क्षण में साथ बैठे तो मेरे मन में यूँ ही..
बातचीत की शुरूआत मैंने ही की थी । सप्ताह भर का साथ, हमेशा मुस्कुराता हुआ चेहरा और मेरे चुहलपन ने एक नाता सा जोड़ दिया था । दोपहर में फुर्सत के क्षण में साथ बैठे तो मेरे मन में यूँ ही..