पांडव का संदेश – रामधारी सिंह दिनकर
प्रिय पाठकों प्रस्तुत है रामधारी सिंह “दिनकर” की प्रसिद्ध रचना……..
“वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।
प्रिय पाठकों प्रस्तुत है रामधारी सिंह “दिनकर” की प्रसिद्ध रचना……..
“वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।
पढिये दुष्यंत कुमार की लोकप्रिय प्रेरणात्मक कविताएँ “हो गई है पीर- पर्वत सी / कुछ भी बन बस, कायर मत बन / और ये जो शहतीर है“
महान स्वतंत्रता सेनानी, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है, जय हिन्द के घोष करने वाले, ऐसे महापुरुष नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित एक कविता.
मानव जीवन के वास्तविकताओं से पूर्ण संत कबीरदास जी के दोहे और उसका अनुवाद . हिंदी साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान
हिंदी साहित्य के छायावाद, रहस्यवाद एवं प्रगतिवादी कवि “सुमित्रानंदन पंथ” का जन्म 20 मई 1900, एवं अवसान 28 दिसम्बर 1977 को हो गया.
शायर-ए-आज़म मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म 27 दिसंबर 1776 को आगरा में हुआ था. इनका पूरा नाम मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” था. ये उर्दू एवं फारसी