“कुली लाइन्स” पुस्तक समीक्षा
विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर एक व्यंग कथा संग्रह के बाद दो दूर देशों की यात्रा वृतांत और फिर ……………… कुली लाइंस ।
चौंसठ सूत्र, सोलह अभिमान
सोशल मीडिया का बढ़ता दबाव और ख़ुद को भुलाते हम !
“यूँ तो हमारे ऊपर सोशल मीडिया का दबाव इस क़दर तक बढ़ चला है कि हम ख़ुद का हीं स्वाभाविक चाल चरित भूल गए हैं, किंतु हालात सोचनीय इस बात को लेकर है की इस होड़ में कई बार हम ख़ुद तक को धोखा देने लगते हैं”
विभाजन काल का मुक़म्मल दस्तावेज है – “पाकिस्तान मेल”
मैंने बहुत ज्यादा किताबें पढ़ी भी नहीं है और जो पढ़ी हैं उनमें 4-5 किताबों ने मुझे खासा प्रभावित किया है । उन्हीं 4-5 में से एक है – पाकिस्तान मेल । लेखक, पत्रकार खुशवंत सिंह की ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ का सुप्रसिद्ध लेखिका उषा महाजन ने बेहतरीन हिंदी अनुवाद किया है ।
इश्क कीजिए, फिर समझिये, ज़िन्दगी क्या चीज है..
अवसाद बीमारी है ! बहुत भयंकर वाली । जिसका इलाज समय से ना होने पर लोग जीते जी जिन्दा लाश की तरह होते हैं । आत्महत्या करने का जी करता है ! आज कल के समय में यह किसे और कब हो जाए कुछ पता नहीं । सामाजिक रूप से मान-मर्दन, शारीरिक रूप से बिमार, किसी अपने से मिला धोखा, खुद से कुछ ज्यादा उम्मीद, बहुत सारे कारण होते हैं । बड़े से बड़े जांबाज लोग अवसाद में मौत को गले लगा रहे हैं ।
डियर कार्ल मार्क्स !
जब आपके अनुयायी पिछले दस सालोँ में जे.एन.यू मे दलितोँ के उत्थान, गरीबोँ को न्याय इत्यादि पर सेमिनार आयोजित कर रहे थे, तो भारत के निम्न मध्यम वर्गीय परिवार का दो यूवक फ्लिपकार्ट बनाने में जुटे थे.
कोशी, मिथिला और सरकारें- खट्टरकाका की डायरी से
सन 2008 में जब कोशी कोसी में बाढ़ की वजह से मिथिला का एक बहुत बड़ा हिस्सा तबाह हुआ था उस समय मैंने कोशी पर एक ब्लॉग लिखा था कि कैसे स्वतंत्रता
थोड़ी सी दारू मिल जाय तो ऑर्केस्ट्रा को भी लाइव कर देंगे पत्रकार जी !
जमीन बदल गई तो मायने बदल गए। मायने बदले तो चेहरा बदल गया,रहन-सहन और जीवन की शर्तें बदल गईं। वैश्विक अर्थशास्त्र की इस बाढ़ के चलते खासा बदलाव आ गया है समाज में। तो फिर कैसा पत्रकार और कैसा दिवस।
जैसे कैंसर का ईलाज़ सिगरेट की डब्बी तोड़ना नहीं हो सकता
अगर कोई शख़्स कैंसर से जूझ रहा हो तो उसका ईलाज़ सिर्फ सिगरेट की डब्बी तोड़ देने भर से नहीं हो सकता । अगर सिगरेट ही उसकी बीमारी की वजह रही हो फिर भी नहीं बल्कि ईलाज़ का सही तरीक़ा ज़रूरी होता है ।