छठ का SOP

परेशान सा हो गई थी वो, सालों बाद छठ पर घर में सब कोई मिले थे. बातचीत करना, साथ में समय बिताना, भूले-बिसरे पल को याद करना किसे नहीं अच्छा लगता ! तो वो भी यही सब चाहती थी.

यह तुष्टीकरण नहीं तो क्या संतुष्टिकरण है

जब आप अपने बेटी को अच्छे स्कूल में नहीं पढाते ! बचपन से ही उसके दिमाग में यह देते हैं की पैसे कम हैं …!! तो तुम्हारा भाई ही अच्छा स्कूल में पढ़ सकता है. यह तुष्टीकरण नहीं..

और उसने गुस्से में फोन काट दिया

काली रात ! बादलों ने पुरे आकाश को ढँक रखा है । हवा में एक अजीब सा सन्नाटा है । कमरे में बैठा अकेले अपने धुनों में मग्न कुछ सोच रहा था कि मोबाइल का घंटी घनघनाने लगा ।

छोटकी भौजी

आमतौर पर मेरा दिल्ली से प्रेम का एक वजह आप मेट्रो का होना कह लिजिये । इसने इस घुम्मकर किस्म के इन्सान को एक ठौर दिया । और समझ लीजिये उसे और घुमने के लिए उकसाने का भी काम किया । कोई 10 बजे सुबह का समय रहा होगा ।

आर्केस्ट्रा और ताक झांक

स्टेज सज ही रहा था, साउंड बॉक्स लाइट और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट लगाया जा रहा था, स्टेज के आगे युवाओं की भीड़ जमने शुरू हो गए थे. कुछ लोग इधर उधर टहल रहे थे.

विद्यापति समारोह और मिथिला का विकास ।

बात विद्यापति समारोह के विरोध का नहीं है । बात है कि जिन लोगों को इस समाज ने आगे बढ़ाया, समाज के बल पर उन्होंने पूरे देश में नाम कमाया, पैसे कमाए, अच्छे पोस्ट पर पहुँचे, वो लोग मिथिला के प्रति अपने कर्तव्य को विद्यापति समारोह मना कर पूर्ण मान लेते हैं ।

चप्पल-जूता छुआ-छुत और जाति-धर्म

 

समान्य श्रेणी और पूर्ववत् पधारे सहयात्री के बीच जोरो-आजमाइश करते हुए उचित स्थान काफी मसक्कत से ग्रहण किया उपरी पाईदान (सोने वाली सिट ) पर बैठ गया कुछ देर के उपरांत देखा !

विद्यापति समारोह पर प्रश्न क्यों ?

हम प्रश्न उठाएंगे विद्यापति समारोह पर ! जब पुरे मिथिला क्षेत्र में करोड़ों लोग रोटी से वंचित हैं, अच्छी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं, अच्छी शिक्षा से वंचित हैं, अच्छे घर से वंचित है, शौचालय नहीं है, खाने के लिए अच्छा खाना नहीं है, बदन पर अच्छा कपड़ा नहीं है, इस सब के बाबजूद लाखों रूपया…

आलेख : राशन कार्ड

सीना ठीक कर उस अधेर उम्र के व्यक्ति ने भड़ी बस में बोला था. सरकार राशन बँटना बंद करे. दिल तो मेरा भी मचला, दिमाग में गुस्सा को साया लहराने लगा जबाब देने को, उलझा तो था ही परंतु कुछ सोच पीछे हट गया.