शशि कपूर / कहीं कुछ अनकहा !
रानी पद्मावती प्रसंग से जुड़े पंडित नरेंद्र मिश्र की लोकप्रिय कविता ‘पद्मिनी-गोरा-बादल‘ “दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी, जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी ।” डॉ कुमार विश्वास द्वारा इस कविता की प्रस्तुती का विडियो भी आवश्य देखें !
मैं हूँ दरभंगा का ऐतिहासिक किला लगभग 85 एकड़ जमीन के चारों ओर फैला हुआ हूँ । मेरी ऊँचाई दिल्ली के लाल किले से भी 9 फीट ऊंची है । पर नसीब अपना-अपना !
एक जौहरी के निधन के बाद उसका परिवार संकट में पड़ गया. खाने के भी लाले पड़ गए, एक दिन उसकी पत्नी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर
सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे । उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी । वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के
पटना विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर शालिनी झा अपनी माँ को पत्र लिखती हैं, जिसमें मध्यमवर्गीय परिवार की औसत लडकियाँ प्रेषक की भूमिका में प्रतीत हो रहीं हैं । “संजीदा“ पति चाहिए “खरीदा“ हुआ नहीं ।
मैं नाव के अगले माईन पर बैठा था और मेरी नजरें जलकुंभी के फूलों पर टिकी थी जो धीरे-धीरे मेरे पास आती जा रही थी । करमी के फूलों की पृष्ठभूमि में उसकी खूबसूरती और बढ़ गई थी।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि लकड़ी की बनी कोई मूर्ति ग्यारह हज़ार साल तक सही-सलामत रह सकती है ? लकड़ी की बनी ऐसी ही एक मूर्ति सवा सौ साल पहले साइबेरियाई पीट बोग के शिगीर में मिली थी जिसे आरंभिक जांच के बाद साढ़े नौ हज़ार साल पुराना घोषित किया गया था।